Sunday, November 19, 2017

ग्लास को नीचे रख दीजिये

एक प्रोफ़ेसर ने अपने हाथ में पानी से भरा एक glass पकड़ते  हुए class शुरू की . उन्होंने उसे ऊपर उठा कर सभी students को दिखाया और पूछा , ” आपके हिसाब से glass का वज़न कितना होगा?”
’50gm….100gm…125gm’…छात्रों ने उत्तर दिया.
‘आपका हाथ दर्द होने लगेगा’, एक छात्र ने कहा.
” तुम सही हो, अच्छा अगर मैं इसे इसी तरह पूरे दिन उठाये रहूँ तो का होगा?”
” आपका हाथ सुन्न हो सकता है, आपके muscle में भारी तनाव आ सकता है , लकवा मार सकता है और पक्का आपको hospital जाना पड़ सकता है”….किसी छात्र ने कहा, और बाकी सभी हंस पड़े…
“बहुत अच्छा , पर क्या इस दौरान glass का वज़न बदला?” प्रोफ़ेसर ने पूछा.
उत्तर आया ..”नहीं”
” तब भला हाथ में दर्द और मांशपेशियों में तनाव क्यों आया?”
Students अचरज में पड़ गए.
फिर प्रोफ़ेसर ने पूछा ” अब दर्द से निजात पाने के लिए मैं क्या करूँ?”
” ग्लास को नीचे रख दीजिये! एक छात्र ने कहा.
” बिलकुल सही!” प्रोफ़ेसर ने कहा.
Life की problems भी कुछ इसी तरह होती हैं. इन्हें कुछ देर तक अपने दिमाग में रखिये और लगेगा की सब कुछ ठीक है.उनके बारे में ज्यदा देर सोचिये और आपको पीड़ा होने लगेगी.और इन्हें और भी देर तक अपने दिमाग में रखिये और ये आपको paralyze करने लगेंगी. और आप कुछ नहीं कर पायेंगे.
अपने जीवन में आने वाली चुनातियों और समस्याओं के बारे में सोचना ज़रूरी है, पर उससे भी ज्यादा ज़रूरी है दिन के अंत में सोने जाने से पहले उन्हें नीचे रखना.इस तरह से, आप stressed नहीं रहेंगे, आप हर रोज़ मजबूती और ताजगी के साथ उठेंगे और सामने आने वाली किसी भी चुनौती का सामना कर सकेंगे..........

Monday, November 13, 2017

Discovery – आविष्कार

दोस्तों इस जीवन में नामुनकिन कुछ भी नहीं (Nothing is impossible in life), नामुनकिन शब्द मनुष्य ने ही बनाया है| जब टेलीफोन और रेडियो आदि का आविष्कार नहीं हुआ था तो दुनिया और विज्ञान यही मानते थे कि आवाज को कुछ ही समय में सैकड़ो किलोमीटर दूर पहुँचाना नामुनकिन (Impossible) है, लेकिन आज मोबाइल हमारे जीवन का हिस्सा है|
इसी तरह जब तक विमान का आविष्कार नहीं हुआ था तब तक विज्ञान जगत भी यही मानता था कि मनुष्य के लिए आकाश में उड़ना संभव नहीं लेकिन जब राइट बंधुओं ने विमान का आविष्कार किया तो यह “असंभव”, “संभव” में बदल गया (Impossible becomes Possible)|

इस दुनिया में नामुनकिन कुछ भी नहीं (Nothing is impossible in this world),“नामुनकिन” हमारा भ्रम या गलत मान्यता है जो आख़िरकार गलत साबित होती है|
Life Changing Hindi Stories
“हम वो सब कर सकते है जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है जो आज तक हमने नहीं सोचा”

हम गलत धारणाएँ (Wrong Beliefs) बना लेते है और हमें इसी कारण कोई कार्य मुश्किल या असंभव लगता है|
हम आज जो भी है वह हमारी सोच का ही परिणाम है| हम जैसा सोचते है, वैसा बन जाते है – (We become, what we think)| “असंभव” या “नामुनकिन” (Impossible) हमारी सोच का ही परिणाम है|
“हमारे साथ वैसा ही होता है जैसा हम मानते है और विश्वास करते है|”

भौरा विज्ञान के नियमों के अनुसार उड़ नहीं सकता लेकिन वह मानता है कि वह उड़ सकता है इसलिए वह उड़ जाता है जबकि हाथी कमजोर रस्सी को आसानी से तोड़ सकता है लेकिन वह यह मानता है कि वह उस रस्सी को तोड़ नहीं सकता, इसलिए वह रस्सी को तोड़ नहीं पाता| |


Monday, November 06, 2017

Aapka Bhavishya aapki aaj ki soch aur Karyo pe nirbhar karta hai....

Maine Kahi Par Aisa Suna Aur Padha Hai Aur Apne Iss Jeevan Me Feel kiya Hai iske Baare me to aaj mai iss baat ko ek chhoti si kahani k madhyam se ap tak pahunchane ki kosis kar rha hu ......jarur padhiyega ise...

Ek aadmi ke 2 bete the, dono jab bade hue to 1 bahut bada business man bana aur 1 sharabi bana. Ek din unke kisi dost ne un dono se pucha ke tum itni sharaab kyon peete ho, to pehle bhai ne jawab diya “apne papa ke kaaran” main bachpan se hi apne pitaji ko sharab peete dekha hai aur jua khelte dekha hai isliye main bhi waisa hi ban gaya

To dost ne doosre bhai se pucha tum itne bade business man kaise ban gaye? To doosre bete ne kaha “apne papa ke kaaran” maine hamesha apne papa ko sharab ke nashe mein dhutt dekha, hamesha hi jua khelte dekha, ghar aur family ko support karte kabhi nahi dekha, bas ussi waqt se maine soch liya tha ke jo galtiya mere pitaji ne ki hai who maine bilkul bhi nahi karni hai, isliye aaj main itna kaamyab hoon.
To dosto is choti si kahani se humein bahut bada sabak (lesson) milta hai ke aap kis kaam ko kis nazariye se dekhte ho, ek bhai ne sharab aur jua dekha aur ussi se judd gaya, ek bhai ko yeh sab bura laga aur unse door raha aur kaamyaab ho gaya. Yeh sab insaan ke nazariye aur soch ka hi parinaam hai ke uska bhavishya kaisa banega.
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To dosto umeed hai is choti si kahani se aapke jeevan mein kafi kuch bada hoga jo aapko kaamyabi ke raste pe le jaayega aur aap bhi bulandiyo aur shohrat ko chu lauge. Jimmewari samjho, jimmewar bano, logo se acha behave karo, sabki suno, karo jo khud ko theek lage, sapne dekho tabhi sapne poore honge.

ACHA SOCHO, ACHA KARO….. SAB ACHA HI HOGA.

Aapke ache bhavishya ke liye meri vikas ki taraf se aapko dher sari shubhkaamnayein...

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Friday, September 08, 2017

परोपकार का महत्व

एक पुराने जंगल में शेर और शेरनी का एक जोड़ा रहता था। कुछ दिनों के बाद शेरनी ने दो सुन्दर बच्चों को जन्म दिया। एक बार की बात है, शेर और शेरनी दोनों बच्चों छोड़कर शिकार की तलाश में जंगल में दूर निकल गये। काफी देर हो जाने के कारण भूख से छोटे बच्चों का गला सूखने लगा। भूख के मारे वह बुरी तरह छटपटा रहे थे। उसी रास्ते से गुजरती हुई एक बकरी को उन बच्चों पर दया आ गई। भूख से तड़पते बच्चे बकरी से देखे नहीं गए और उसने सिंहों के बच्चों को अपना दूध पिला दिया।
दूध पीकर बच्चे ख़ुशी से आपस में खेलने लगे। तभी अचानक शेरों का जोड़ा वापस आया और उनकी नजर बकरी पर पड़ी। जैसे ही दोनों बकरी पर आक्रमण करने के लिए आगे बढे तो बच्चों ने चिल्लाकर बकरी का बचाव किया और कहा कि इसने हमें दूध पिलाकर हमपर बहुत बड़ा उपकार किया है अन्यथा हम लोग भूखों मर गए होते। बच्चों की बातें सुनकर शेर और शेरनी बहुत खुश हुए और उन्होंने बकरी का आभार व्यक्त करते हुए उसे धन्यवाद दिया और कहा कि “हम तुम्हारा ये उपकार कभी नहीं भूलेंगे, जाओ पुरे जंगल में आजाद होकर घूमो और मौज-मस्ती करो।”
बकरी अब पुरे जंगल में निडर होकर घूमती और शेरों के बच्चों के साथ भी खेलती थी। कभी-कभी तो वह शेरों की पीठ पर चढ़कर पेड़ों के पत्ते भी तोड़कर खाती थी। जंगल के अन्य जानवर भी बकरी के साथ अच्छा व्यौहार करने लगे थे। एक बाज कई दिनों से बकरी को देख रहा था, वह बकरी और शेर को एक साथ ख़ुशी से रहते देखकर बहुत ही आश्चर्यचकित था। अंत में उससे रहा नहीं गया और आखिर एक दिन उसने बकरी से इसका कारण पूंछ ही लिया। बकरी ने बाज से सारा कुछ विस्तारपूर्वक बताया कि पिछले दिनों किस तरह से उसके साथ सारी घटना घटित हुई। तब जाकर बाज को पता चला कि परोपकार का क्या महत्व होता है।
अगले ही दिन बाज उड़ान भर रहा था की उसने देखा कि चूहों के छोटे-छोटे बच्चे एक दलदल में फंसे हुए थे और पूरी कोशिश के बावजूद वह दलदल से नहीं निकल पा रहे थे। तभी बाज के दिमाग में भी बकरी वाली बात याद आयी और उसने सोचा चलो मैं भी इन चूहों पर एक प्रयोग करता हूँ। बाज ने उन सभी चूहों को दलदल से निकलकर सुरक्षित स्थान पर पंहुचा दिया। काफी देर तक भीग जाने के कारण वो सभी ठण्ड से काँप रहे थे। ठण्ड से बचाव के लिए बाज ने उन्हें अपने पँखों के नीचे छुपा लिया। चूहों ने काफी राहत महशूस किया।
कुछ समय बाद जब बाज उड़कर वहां से जाने लगा तो उसे उड़ने में दिक्कत महशूश हुई, बाज की उड़ान पहले जैसे नहीं थी, क्योंकि चूहों के बच्चों ने उसके पंख कुतर डाले थे। बाज तुरंत बकरी के पास गया और उसने अपनी आप बीती बकरी को सुनाई। उसने बकरी से कहा, “तुमने भी परोपकार किया था और मैंने भी उपकार किया है लेकिन हम दोनों को परोपकार का फल अलग-अलग क्यों ?”
बकरी ने हंसकर गंभीरता के साथ उत्तर दिया, “उपकार हमेशा उन्हीं पर करो जो उपकार को समझें।” अर्थात बहादुर लोग (शेर) दूसरों द्वारा किये गए परोपकार को कभी नहीं भूलते हैं, जबकि कायर लोग (चूहे) अक्सर उपकार भूलकर धोका देते हैं।
ठीक उसी प्रकार जैसे पिछले वर्ष कश्मीरियों को सेना ने बाढ़ में डूबने से बचाया था और आज वो ही एहसान फरामोश सेना पर पत्थर फेंक रहे हैं।

Tuesday, August 22, 2017

आप किसे लिफ्ट देना चाहेंगे.....???

एक कंपनी में जॉब के लिए इंटरव्यू होने वाले थे. बहुत सारे आवेदक अपने तमाम योग्यताओं के प्रमाणपत्र लिए इंटरव्यू शुरू होने का इंतज़ार कर रहे थे. वे अपने अपने विषय की अच्छी तैयारी करके आये थे और अपनी सफलता को लेकर पूरे आशान्वित थे. लेकिन आज का इंटरव्यू कुछ अलग प्रकार का होने वाला था.

घंटी बजी और चपरासी ने सबसे पहले उम्मीदवार को इंटरव्यू कक्ष में भेजा. साक्षात्कारकर्ता ने युवक को सामनेवाली कुर्सी पर बिठाया और और उसकी फाइल देखने के बाद बोला, “आपकी क्वालिफिकेशन बहुत अच्छी हैं लेकिन आप मेरे एक सवाल का जवाब दीजिये.”

“मान लीजिये आप कहीं जा रहे हैं, आपकी कार टू सीटर है. आगे चलने पर एक बस स्टैंड पर आप देखते हैं कि तीन व्यक्ति बस के इंतजार में खड़े है. उन में से एक वृद्धा जो कि करीब 90 वर्ष की है तथा बीमार है. अगर उसे अस्पताल नहीं पहुँचाया गया तो इलाज न मिल सकने के कारण मर भी सकती है. दूसरा आपका एक बहुत ही पक्का मित्र है जिसने आपकी एक समय बहुत मदद की थी. तीसरी आपकी प्रेमिका है जिसे आप बेहद प्रेम करते है. अब आप उन तीनो में से किसे लिफ्ट देंगे क्यूंकि आपकी कार में केवल एक ही व्यक्ति आ सकता है ?”
युवक ने एक पल सोचा फिर जवाब दिया ”सर मैं प्रेमिका को लिफ्ट दूंगा.“
साक्षात्कारकर्ता ने हैरानी से पूछा, “क्या ये बाकी दोनों के साथ अन्याय नहीं होगा ?”
युवक ने जवाब दिया, “नो सर, वृद्धा तो आज नहीं तो कल मर ही जायेगी. दोस्त को मैं बाद में भी मिल सकता हूँ पर अगर मेरी प्रेमिका एक बार चली गई तो फिर मैं उससे दूबारा कभी नहीं मिल सकूंगा.”
साक्षात्कार लेने वाले ने मुस्कुरा कर कहा – “वेरी गुड में तुम्हारी साफगोई सुन कर प्रभावित हुआ. अब आप जा सकते है.”
“थैंक यू” कहकर युवक कमरे से बाहर निकल गया.
इसके बाद अन्य प्रत्याशियों का नंबर आया. साक्षात्कार लेने वाले ने सभी से यही सवाल पूछा. सभी ने इसके विभिन्न उत्तर दिए. किसी ने वृद्धा को लिफ्ट देने की बात कही तो किसी ने दोस्त को लिफ्ट देने की बात कही. इस तरह इंटरव्यू आगे चलता रहा.
जब एक प्रत्याशी से यही प्रश्न पूछा तो उसने उत्तर दिया “सर मैं अपनी कार की चाभी अपने दोस्त को दूंगा और उससे कहूंगा कि वो मेरी कार में वृद्धा को लेकर उसे अस्पताल छोड़ता हुआ अपने घर चला जाये. मैं उससे अपनी कार बाद में ले लूंगा और स्वयं अपनी प्रेमिका के साथ टैक्सी में बैठ क़र चला जाऊँगा.
यह जवाब सुनकर इंटरव्यू लेने वाले अधिकारी ने उठकर उससे हाथ मिलाया और कहा, “गुड आंसर, यू आर सिलेक्टेड !”
युवक ने ‘थैंक यू सर’ कहा और मुस्कुराता हुआ बाहर आ गया.
साक्षात्कार समाप्त हो चुका था.
कई बार हम अपने सामने उपस्थित समस्या के एक ही पहलू को देखकर उसका हल खोजने लगते हैं जबकि उसका हल उसके सभी पहलुओं को एक साथ देखने और समझने में छुपा होता है. जीवन में किसी एक को साथ लेकर चलने के बजाय सभी को साथ लेकर चलने को प्राथमिकता देनी चाहिए.


Saturday, August 05, 2017

सच्ची दोस्ती.........On Siddhant@Live

Iss Friendship day Par ek Visesh Yojna k sath kaam kiya Hai....

कौन कहता है कि
दोस्ती बराबरी में होती है
सच तो ये है
दोस्ती में सब बराबर होते है..!!


दो मित्र थे. वे बहुत ही बहादुर थे. उनमें से एक ने सभा के दौरान अपने राजा के अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई. राजा बहुत ही कठोर और निर्दयी था. स्वयं के प्रति बगावत का सुर सुनते ही राजा ने उस नौजवान को फांसी के तख्ते पर लटकाने की आज्ञा दी.
नौजवान ने राजा से विनती कि – “आप जो कर रहे हैं वह ठीक हैं. मैं खुशी से मौत की गोद में चला जाऊंगा, लेकिन आप मुझे कुछ देर कि मोहलत दे दीजिए, जिससे मैं गांव जाकर अपने बच्चों से मिल आऊं.”
राजा ने कहा – “नहीं, मैं तुम्हारी बात पर कैसे विश्वास करू?”
उस नौजवान का मित्र वहां मौजूद था. वह आगे आकर बोला – “मैं अपने इस दोस्त की जमानत देता हूं, अगर यह लौटकर न आए तो आप इसके बदले मुझे फांसी पर चढ़वा देना.”
राजा आश्चर्यचकित रह गया. उसने अपने जीवन में ऐसा कोई आदमी नहीं देखा था, जो दूसरों के लिए अपनी जान देने को तैयार हो जाए.
राजा ने नौजवान कि याचना को स्वीकृति दी. उसे छ: घण्टे की मौहलत दी गई. नौजवान घोड़े पर सवार होकर अपने गांव को रवाना हो गया और उसके दोस्त को कारागाह में बंद कर दिया गया.
नौजवान ने हिसाब लगाकर देखा कि वह लगभग पांच घंटे में लौट आएगा, लेकिन बच्चों से मिलकर वापस आते वक्त उसका घोड़ा ठोकर खाकर गिर गया और घायल हो जाने के कारण फिर उठा ही नहीं. नौजवान के भी बहुत चोटें आई, पर उसने एक पल के लिए भी हिम्मत नहीं हारी.
छ: घण्टे का समय भी बीत गया. किंतु वह नौजवान नहीं लोटा, तो उसका दोस्त बहुत खुश हुआ. आखिर उसके लिए इससे बढ़कर क्या बात होती कि दोस्त-दोस्त के काम आए. वह निरंतर ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि उसका मित्र वापिस न लौटे. फाँसी का समय हो चुका था. मित्र को फांसी के तख्ते के पास लाया ही गया था कि नौजवान वहां पहुंच गया.
sachi dosti
नौजवान ने अपने दोस्त से कहा – “लो मैं आ गया. अब मुझे विदा दो और तुम घर जाओं.”
दोस्त ने कहा – “यह नहीं हो सकता. तुम्हारी मियाद पूरी हो गई.”
नौजवान ने कहा – “यह तुम क्या कह रहे हो! सजा तो मुझे मिली है.”
दोनों मित्रों की दोस्ती को राजा बड़े गौर से देख रहा था. राजा का मन भी पिघल गया, उसकी आंखें भर आईं. उसने उन दोनों को बुलाकर कहा – “तुम्हारी दोस्ती ने मेरे दिल पर गहरा प्रभाव डाला है. जाओ, मैनें तुम्हें माफ किया”
उस दिन से राजा ने कभी किसी पर अत्याचार नहीं किया......

Happy friendship Day To all Of You

Tuesday, July 18, 2017

ज़िन्दगी संघर्ष है !

एक बार किसी जगह पर एक पिता अपनी बेटी के साथ रहता था। दोनों में काफी प्यार था और दोनों काफी मिलजुलकर रहते थे। एक दिन बेटी ने अपने पिता से शिकायत करने लगी कि उसकी ज़िन्दगी बहुत ही उलझी हुयी है। और कहने लगी “मैं बहुत थक गयी हूँ अपनी ज़िन्दगी से लड़ते-लड़ते। जब भी कोई एक परेशानी खत्म होती है तो दूसरी शुरू हो जाती है। कब तक लड़ती रहूंगी इन सब से।” वह काफी परेशान लग रह रही थी।
यह सब सुनके पिता ने कहा मेरे साथ आओ, और रसोई में चले गए। बेटी भी अपने पिता के कहे अनुसार रसोई में अपने पिता के सामने खड़ी हो गयी। उसके पिता ने बिना कुछ कहे तीन बर्तनों में पानी भरकर अलग अलग चुल्हों पर उबालने रख दिया। एक बर्तन में आलू, एक में अण्डे और एक में coffee bean के टुकड़े डाल दिए। और बिना कुछ कहे बैठ के बरतनों को देखने लगे।
20 मिनट के बाद उसने चुल्हे बंद कर दिए। एक प्लेट में आलू, एक में अण्डे और एक कप में कॉफ़ी रख दी। और अपनी बेटी की तरफ घूमकर पूछा – तुमने क्या देखा?
बेटी ने हंसकर जवाब – आलू, अण्डे और कॉफ़ी।
पिता ने कहा – और नज़दीक से छूकर देखो।
बेटी ने आलू छूकर देखे तो महसूस किया वो काफी नरम हो चुके थे।
पिता ने फिर कहा – अब अंडे को छीलकर देखो।
बेटी ने वैसा ही किया और देखा अंदर से भी अण्डे सख्त हो चुके थे।
आखिर में पिता ने कॉफ़ी कप पकड़ाते हुए कहा अब इसे पियो।
बेटी ने कॉफ़ी पी। और कॉफ़ी की इतनी प्यारी महक से उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी।
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उसने बड़े उत्सुकता के अपने पिता से पूछा – इन सब चीज़ों का क्या मतलब है?
इसपर उसके पिता ने समझाया। आलू, अण्डे और कॉफ़ी तीनो एक ही परिस्थिति से गुजरे थे, तीनों को एक जैसे ही उबाला था। परन्तु जब बाहर निकाला तो तीनों की प्रतिक्रिया अलग-अलग थी। जब हमने आलू को उबालने रखा था तो वो बहुत सख्त था परन्तु उबालने के बाद वो नरम हो गया।
जब अण्डे को रखा था तब वो अन्दर से पानी की तरह तरल था परन्तु उबालते ही सख्त हो गया।
उसी तरह जब कॉफ़ी के दानों को डाला था तब वो सब अलग-अलग थे मगर उबालते ही सब आपस में घुल गए और पानी को भी अपने रंग में रंग दिया।
ठीक इसी तरह ज़िन्दगी में भी अलग-अलग परिस्थितियां आती है। जब आपको खुद ही फैसला करना होता है कि आपको किस परिस्थिति को कैसे सम्भालना है।
दोस्तों परेशानियाँ हर किसी के साथ आती हैं। परन्तु इनका हल निकालने का तरीका ढूँढना चाहिए। इनसे हार मान के खुद के मनोबल को गिराना सही नहीं है।

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छठी पुतली रविभामा ~ विक्रमादित्य की परीक्षा!

  छठी पुतली रविभामा ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है: एक दिन विक्रमादित्य नदी के तट पर बने हुए अपने महल से प्राकृतिक सौन्दर्य को निहार रहे थे...