Saturday, January 23, 2021

एक नई कहानी नए साल में

  एक बच्चा अपनी माँ के साथ एक दुकान पर शॉपिंग करने गया तो दुकानदार ने उसकी मासूमियत देखकर उसको सारी टॉफियों के डिब्बे खोलकर कहा-: "लो बेटा टॉफियाँ ले लो...!!!"

 

पर उस बच्चे ने भी बड़े प्यार से उन्हें मना कर दिया. उसके बावजूद उस दुकानदार ने और उसकी माँ ने भी उसे बहुत कहा पर वो मना करता रहा. हारकर उस दुकानदार ने खुद अपने हाथ से टॉफियाँ निकाल कर उसको दीं तो उसने ले लीं और अपनी जेब में डाल ली.

 

वापस आते हुऐ उसकी माँ ने पूछा कि "जब अंकल तुम्हारे सामने डिब्बा खोल कर टाँफी दे रहे थे , तब तुमने नही ली और जब उन्होंने अपने हाथों से दीं तो ले ली..!! ऐसा क्यों..??"

 

तब उस बच्चे ने बहुत खूबसूरत प्यारा जवाब दिया -: "माँ मेरे हाथ छोटे-छोटे हैं... अगर मैं टॉफियाँ लेता तो दो तीन टाँफियाँ ही आती जबकि अंकल के हाथ बड़े हैं इसलिये ज्यादा टॉफियाँ मिल गईं..."

 

बिल्कुल इसी तरह जब भगवान हमें देता है, तो वो अपनी मर्जी से देता है और वो हमारी सोच से परे होता है, हमें हमेशा उसकी मर्जी में खुश रहना चाहिये....!!!

 

क्या पता..??

 

वो किसी दिन हमें पूरा समंदर देना चाहता हो और हम हाथ में चम्मच लेकर खड़े हों...



छठी पुतली रविभामा ~ विक्रमादित्य की परीक्षा!

  छठी पुतली रविभामा ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है: एक दिन विक्रमादित्य नदी के तट पर बने हुए अपने महल से प्राकृतिक सौन्दर्य को निहार रहे थे...