Tuesday, July 18, 2017

ज़िन्दगी संघर्ष है !

एक बार किसी जगह पर एक पिता अपनी बेटी के साथ रहता था। दोनों में काफी प्यार था और दोनों काफी मिलजुलकर रहते थे। एक दिन बेटी ने अपने पिता से शिकायत करने लगी कि उसकी ज़िन्दगी बहुत ही उलझी हुयी है। और कहने लगी “मैं बहुत थक गयी हूँ अपनी ज़िन्दगी से लड़ते-लड़ते। जब भी कोई एक परेशानी खत्म होती है तो दूसरी शुरू हो जाती है। कब तक लड़ती रहूंगी इन सब से।” वह काफी परेशान लग रह रही थी।
यह सब सुनके पिता ने कहा मेरे साथ आओ, और रसोई में चले गए। बेटी भी अपने पिता के कहे अनुसार रसोई में अपने पिता के सामने खड़ी हो गयी। उसके पिता ने बिना कुछ कहे तीन बर्तनों में पानी भरकर अलग अलग चुल्हों पर उबालने रख दिया। एक बर्तन में आलू, एक में अण्डे और एक में coffee bean के टुकड़े डाल दिए। और बिना कुछ कहे बैठ के बरतनों को देखने लगे।
20 मिनट के बाद उसने चुल्हे बंद कर दिए। एक प्लेट में आलू, एक में अण्डे और एक कप में कॉफ़ी रख दी। और अपनी बेटी की तरफ घूमकर पूछा – तुमने क्या देखा?
बेटी ने हंसकर जवाब – आलू, अण्डे और कॉफ़ी।
पिता ने कहा – और नज़दीक से छूकर देखो।
बेटी ने आलू छूकर देखे तो महसूस किया वो काफी नरम हो चुके थे।
पिता ने फिर कहा – अब अंडे को छीलकर देखो।
बेटी ने वैसा ही किया और देखा अंदर से भी अण्डे सख्त हो चुके थे।
आखिर में पिता ने कॉफ़ी कप पकड़ाते हुए कहा अब इसे पियो।
बेटी ने कॉफ़ी पी। और कॉफ़ी की इतनी प्यारी महक से उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी।
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उसने बड़े उत्सुकता के अपने पिता से पूछा – इन सब चीज़ों का क्या मतलब है?
इसपर उसके पिता ने समझाया। आलू, अण्डे और कॉफ़ी तीनो एक ही परिस्थिति से गुजरे थे, तीनों को एक जैसे ही उबाला था। परन्तु जब बाहर निकाला तो तीनों की प्रतिक्रिया अलग-अलग थी। जब हमने आलू को उबालने रखा था तो वो बहुत सख्त था परन्तु उबालने के बाद वो नरम हो गया।
जब अण्डे को रखा था तब वो अन्दर से पानी की तरह तरल था परन्तु उबालते ही सख्त हो गया।
उसी तरह जब कॉफ़ी के दानों को डाला था तब वो सब अलग-अलग थे मगर उबालते ही सब आपस में घुल गए और पानी को भी अपने रंग में रंग दिया।
ठीक इसी तरह ज़िन्दगी में भी अलग-अलग परिस्थितियां आती है। जब आपको खुद ही फैसला करना होता है कि आपको किस परिस्थिति को कैसे सम्भालना है।
दोस्तों परेशानियाँ हर किसी के साथ आती हैं। परन्तु इनका हल निकालने का तरीका ढूँढना चाहिए। इनसे हार मान के खुद के मनोबल को गिराना सही नहीं है।

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