
Daily Something New Here Of the prospective line with story of success....... हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ हल नहीं कर सकते हैं जो हमने उन्हें बनाया था। "जितने दिन तक जी गई, बस उतनी ही है जिन्दगी, मिट्टी के गुल्लकों की कोई उम्र नहीं होती।"
Monday, September 09, 2019
आप क्या है!
दयानन्द नाम का एक बहुत बड़ा व्यापारी था और उसका इकलौता पुत्र सत्यप्रकाश जो पढ़ने से बहुत जी चुराता था और परीक्षा मे भी किसी और के भरोसे रहता और फेल हो जाता!
पर एक दिन उसके जीवन मे ऐसी घटना घटी फिर उसने संसार से कोई आशाएं न रखी और फिर पुरी तरह से एकाग्रचित्त होकर चलने लगा!
एक दिन दयानन्द का बेटा स्कूल से घर लोटा तो वो दहलीज से ठोकर खाके नीचे गिरा जैसै ही उसके माँ बाप ने देखा तो वो भागकर आये और गिरे हुये बेटे को उठाने लगे पर बेटे सत्यप्रकाश ने कहा आप रहने दिजियेगा मैं स्वयं उठ जाऊँगा!
दयानन्द- ये क्या कह रहे हो पुत्र?
सत्यप्रकाश- सत्य ही तो कह रहा हूँ पिताश्री इंसान को सहायता तभी लेनी चाहिये जब उसकी बहुत ज्यादा जरूरत हो और इंसान को ज्यादा आशाएं नही रखनी चाहिये नही तो एक दिन संसार उसे ऐसा गीराता है की वो फिर शायद कभी उठ ही न पाये!
दयानन्द- आज ये कैसी बाते कर रह हो पुत्र? बार बार पुछने पर भी पुत्र कुछ न बोला कई दिन गुजर गये फिर एक दिन दयानन्द- आखिर हमारा क्या अपराध है पुत्र, की तुम हमारे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हो!
सत्यप्रकाश- तो सुनिये पिता श्री एक दिन मैं स्कूल से जब घर लोट रहा था तो एक वृद्ध सज्जन माथे पर फल की टोकरी लेकर फल बेच रहे थे और चलते चलते वो ठोकर लगने से गिर गये जब मैं उन्हे उठाने पहुँचा तो उन्होंने कहा बेटा रहने दो मैं उठ जाऊँगा पर मैं आपको धन्यवाद देता हूँ की आप सहायता के लिये आगे आये!
फिर उन्होने कहा पुत्र आप एक विद्यार्थी हो आपके सामने एक लक्ष्य भी है और मैं आपको सफलता का एक मंत्र देता हूँ की संसार से ज्यादा आशाएं कभी न रखना!
फिर मैंने पूछा बाबा आप ऐसा क्यों कह रहे हो और संसार से न रखुं आशाएं तो किससे रखुं?
तो उन्होने कहा मैं ऐसा इसलिये कह रहा हूँ पुत्र की जो गलती मैंने की वो गलती आप न करना और आशाएं स्वयं से रखना अपने सद्गुरु और इष्टदेवजी से रखना किसी और से ज्यादा आशाएं रखोगे तो एक दिन आपको असफलताएं ज्यादा और सफलताएं कम मिलेगी!
मेरा एक इकलौता पुत्र जब उसका जन्म हुआ तो कुछ समय बाद मॆरी पत्नी एक एक्सीडेंट मे चल बसी और वो भी गम्भीर घायल हो गया उसके इलाज मे मैंने अपना सबकुछ लगा दिया वो पूर्ण स्वस्थ हो गया और वो स्कूल जाने लगा और मैं उससे ये आशाएं रखने लगा की एक दिन ये कामयाब इंसान बनेगा और धीरे धीरे मॆरी आशाएं बढ़ने लगी फिर एक दिन वो बहुत बड़ा आदमी बना की उसने मॆरी सारी आशाओं को एक पल मे पूरा कर दिया!
तो मैंने पूछा की वो कैसे ?
तो उन्होने कहा की वो ऐसे की जब मैं रात को सोया तो अपने घर मे पर जब उठा तो मैंने अपने आपको एक वृद्धआश्रम मे पाया और जब मैं घर पहुँचा तो वहाँ एक सज्जन पुरूष मिले उन्होने बताया की बाबा अब ये घर मेरा है आपका बेटा मुझे बेचकर चला गया! फिर मैं अपने सद्गुरु के दरबार मे गया क्षमा माँगने!
फिर मैंने कहा पर बाबा सद्गुरु से क्षमा माँगने क्यों तो उन्होने कहा पुत्र वर्षों पहले उन्होंने मुझसे कहा था की बेटा संसार से ज्यादा आशाएं न रखना नही तो अंततः निराशा ही हाथ आयेगी और फिर मैंने उन्हे प्रणाम करके अपनी आगे की यात्रा शुरू की और आज मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि आज मैं इस संसार से नही बस अपने आपसे अपने सद्गुरु से और अपने इष्टदेवजी से आशाएं रखता हूँ!

और फिर मैं वहाँ से चला आया!
दयानन्द- माना की वो बिल्कुल सही कह रहे थे पर बेटा इसमे हमारा क्या दोष है?
सत्यप्रकाश- क्योंकि जब उन्होंने अपने पुत्र का नाम बताया तो मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गई!
क्योंकि उन्होंने अपने पुत्र का नाम दयानन्द बताया और वो दयानन्द जी कोई और नही आप ही हो!
मित्रों एक बात हमेशा याद रखना हमेशा ऐसी आशाएं रखना जो तुम्हे लक्ष्य तक पहुँचा दे पर संसार से कभी मत रखना अपने आपसे, अपने सद्गुरु से और अपने ईष्ट से रखना क्योंकि जिसने भी संसार से आशाएं रखी अंततः वो निराश ही हुआ और जिसने नही रखी वो लक्ष्य तक पहुँचने मे सफल हुआ!
मित्रों तो सफलता का एक सुत्र ये भी है की संसार से ज्यादा आशाएं कभी मत रखना क्योंकि ये संसार जब भगवान श्री राम और श्री कृष्ण की आशाओं पर खरा न उतरा तो भला हम और आप क्या है!
Thursday, October 04, 2018
बुलंद होसलों की कहानी
मुसीबते हमारी ज़िंदगी की एक सच्चाई है। कोई इस बात को समझ लेता है तो कोई पूरी ज़िंदगी इसका रोना रोता है। ज़िंदगी के हर मोड़ पर हमारा सामना मुसीबतों(problems) से होता है. इसके बिना ज़िंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती।
अक्सर हमारे सामने मुसीबते आती है तो तो हम उनके सामने पस्त हो जाते है। उस समय हमे कुछ समझ नहीं आता की क्या सही है और क्या गलत। हर व्यक्ति का परिस्थितियो को देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। कई बार हमारी ज़िंदगी मे मुसीबतों का पहाड़ टूट पढ़ता है। उस कठिन समय मे कुछ लोग टूट जाते है तो कुछ संभाल जाते है।
अक्सर हमारे सामने मुसीबते आती है तो तो हम उनके सामने पस्त हो जाते है। उस समय हमे कुछ समझ नहीं आता की क्या सही है और क्या गलत। हर व्यक्ति का परिस्थितियो को देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। कई बार हमारी ज़िंदगी मे मुसीबतों का पहाड़ टूट पढ़ता है। उस कठिन समय मे कुछ लोग टूट जाते है तो कुछ संभाल जाते है।
मनोविज्ञान के अनुसार इंसान किसी भी problem को दो तरीको से देखता है;
1 problem पर focus करके(problem focus peoples)
2 solution पर focus करके(solution focus peoples)
2 solution पर focus करके(solution focus peoples)
Problem focus peoples अक्सर मुसीबतों मे ढेर हो जाते है। इस तरीके के इंसान किसी भी मुसीबत मे उसके हल के बजाये उस मुसीबत के बारे मे ज्यादा सोचते है। वही दूसरी ओर solution focus peoples मुसीबतों मे उसके हल के बारे मे ज्यादा सोचते है। इस तरह के इंसान मुसीबतों का डट के सामना करते है।
दोस्तो आज मै आपके साथ एक महान solution focus इंसान की कहानी शेयर करने जा रहा हु जो आपको किसी भी मुसीबत से लड़ने के लिए प्रोत्साहित (motivate) करेगी। दोस्तो आपने नेपोलियन बोनापार्ट (napoleon Bonaparte) का नाम तो सुना ही होगा। जी हा वही नापोलियन बोनापार्ट जो फ़्रांस के एक महान निडर और साहसी शासक थे जिनके जीवन मे असंभव नाम का कोई शब्द नहीं था। इतिहास में नेपोलियन को विश्व के सबसे महान और अजय सेनापतियों में से एक गिना जाता है। वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से माने जाते थे । उसके सामने कोई रुक नहीं पाता था।
नेपोलियन के बुलंद होसलों की कहानी- A MOTIVATIONAL STORY IN HINDI FOR PROBLEM SOLVING
नेपोलियन अक्सर जोखिम (risky) भरे काम किया करते थे। एक बार उन्होने आलपास पर्वत को पार करने का ऐलान किया और अपनी सेना के साथ चल पढे। सामने एक विशाल और गगनचुम्बी पहाड़ खड़ा था जिसपर चढ़ाई करने असंभव था। उसकी सेना मे अचानक हलचल की स्थिति पैदा हो गई। फिर भी उसने अपनी सेना को चढ़ाई का आदेश दिया। पास मे ही एक बुजुर्ग औरत खड़ी थी। उसने जैसे ही यह सुना वो उसके पास आकर बोले की क्यो मरना चाहते हो। यहा जितने भी लोग आये है वो मुह की खाकर यही रहे गये। अगर अपनी ज़िंदगी से प्यार है तो वापिस चले जाओ। उस औरत की यह बात सुनकर नेपोलियन नाराज़ होने की बजाये प्रेरित हो गया और झट से हीरो का हार उतारकर उस बुजुर्ग महिला को पहना दिया और फिर बोले; आपने मेरा उत्साह दोगुना कर दिया और मुझे प्रेरित किया है। लेकिन अगर मै जिंदा बचा तो आप मेरी जय-जयकार करना। उस औरत ने नेपोलियन की बात सुनकर कहा- तुम पहले इंसान हो जो मेरी बात सुनकर हताश और निराश नहीं हुए। ‘ जो करने या मरने ‘ और मुसीबतों का सामना करने का इरादा रखते है, वह लोग कभी नही हारते।

आज सचिन तेंदुलकर (sachin tendulkar) को इसलिए क्रिकेट (cricket) का भगवान कहा जाता है क्योकि उन्होने जरूरत के समय ही अपना शानदार खेल दिखाया और भारतीय टीम को मुसीबतों से उभारा। ऐसा नहीं है कि यह मुसीबते हम जैसे लोगो के सामने ही आती है, भगवान राम के सामने भी मुसीबते आयी है। विवाह के बाद, वनवास की मुसीबत। उन्होने सभी मुसीबतों का सामना आदर्श तरीके से किया। तभी वो मर्यादा पुरषोतम कहलाये जाते है। मुसीबते ही हमें आदर्श बनाती है।
अंत मे एक बात हमेशा याद रखिये;
जिंदगी में मुसीबते चाय के कप में जमी मलाई की तरह है,
और कामयाब वो लोग हैं जिन्हेप फूँक मार के मलाई को साइड कर चाय पीना आता है...
जिंदगी में मुसीबते चाय के कप में जमी मलाई की तरह है,
और कामयाब वो लोग हैं जिन्हेप फूँक मार के मलाई को साइड कर चाय पीना आता है...
Friday, April 13, 2018
संसार हवन कुंड है........
पंडित जी पूजा करा रहे थे। लोग हाथ जोड़े बैठे थे।
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पूजा के बाद बारी आई हवन की। पंडित जी ने सबको हवन में शामिल होने के लिए बुलाया। सबके सामने हवन सामग्री रख दी गई।
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पंडित जी मंत्र पढ़ते और कहते, “स्वाहा।”
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जैसे ही पंडित जी स्वाहा कहते, लोग चुटकियों से हवन सामग्री लेकर अग्नि में डाल देते।
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बाकी लोगों को अग्नि में हवन सामग्री डालने की ज़िम्मेदारी दी गई थी, और गृह मालिक को स्वाहा कहते ही अग्नि में घी डालने की ज़िम्मेदीरी सौंपी गई।
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कई बार स्वाहा-स्वाहा हुआ। मैं भी हवन सामग्री अग्नि में डाल रहा था।
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मैंने नोट किया कि हर व्यक्ति थोड़ी सामग्री डालता, इस आशंका में कि कहीं हवन खत्म होने से पहले ही सामग्री खत्म न हो जाए।
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गृह मालिक भी बूंद-बूंद घी डाल रहे थे। उनके मन में भी डर था कि घी खत्म न हो जाए।
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मंत्रोच्चार चलता रहा, स्वाहा होता रहा और पूजा पूरी हो गई।
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मैंने देखा कि जो लोग इस आशंका में हवन सामग्री बचाए बैठे थे कि कहीं कम न पड़ जाए, उन सबके पास बहुत सी हवन सामग्री बची रह गई।

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घी तो आधा से भी कम इस्तेमाल हुआ था।
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हवन पूरा होने के बाद पंडित जी ने सभी लोगों से कहा कि आप लोगों के पास जितनी सामग्री बची है, उसे भी अग्नि में डाल दें।
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गृह स्वामी से भी उन्होंने कहा कि आप इस घी को भी कुंड में डाल दें।
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एक साथ बहुत सी हवन सामग्री अग्नि में डाल दी गई। सारा घी भी अग्नि के हवाले कर दिया गया।
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अब पूरा घर धुंए से भर गया। वहां बैठना मुश्किल हो गया।
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एक-एक कर सभी कमरे से बाहर निकल गए।
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सभी कह रहे थे कि बेकार ही हवन सामग्री हमने बचाई थी। सही अनुपात में डाल दिए होते तो कमरे में धुंआ नहीं फैलता।
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घी को भी बचाने की जगह सही अनुपात में खर्च करना चाहिए था।
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खैर, अब जब तक सब कुछ जल नहीं जाता, कमरे में जाना संभव नहीं था। हम सभी लोग गर्मी में कमरे से बाहर खड़े रहे।
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काफी देर तक हमें इंतज़ार करना पडा, सब कुछ स्वाहा होने के इंतज़ार में।
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बस मेरी कहानी यहीं रुक जाती है।
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कल मैं सोच रहा था कि उस पूजा में मौजूद हर व्यक्ति जानता था कि जितनी हवन सामग्री उसके पास है, उसे हवन कुंड में ही डालना है।
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पर सबने उसे बचाए रखा। सबने बचाए रखा कि आख़िर में सामग्री काम आएगी।
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ऐसा ही हम करते हैं। यही हमारी फितरत है। हम अंत के लिए बहुत कुछ बचाए रखते हैं। हम समझ ही नहीं पाते कि हर पूजा खत्म होनी होती है।
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हम ज़िंदगी जीने की तैयारी में ढेरों चीजें जुटाते रहते हैं, पर उनका इस्तेमाल नहीं कर पाते।
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हम कपड़े खरीद कर रखते हैं कि फलां दिन पहनेंगे। फलां दिन कभी नहीं आता। हम पैसों का संग्रह करते हैं ताकि एक दिन हमारे काम आएगा। वो एक दिन नहीं आता।
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ज़िंदगी की पूजा खत्म हो जाती है और हवन सामग्री बची रह जाती है।
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हम बचाने में इतने खो जाते हैं कि हम समझ ही नहीं पाते कि जब सब कुछ होना हवन कुंड के हवाले है, उसे बचा कर क्या करना। बाद में तो वो सिर्फ धुंआ ही देगा।
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अगर ज़िंदगी की हवन सामग्री का इस्तेमाल हम पूजा के समय सही अनुपातम में करते चले जाएं, तो न धुंआ होगी, न गर्मी। न आंखें जलेंगी, न मन।
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ध्यान रहे, संसार हवन कुंड है और जीवन पूजा। एक दिन सब कुछ हवन कुंड में समाहित होना है।
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अच्छी पूजा वही होती है, जिसमें हवन सामग्री का सही अनुपात में इस्तेमाल हो जाता है।
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अच्छी ज़िंदगी वही होती है, जिसमें हमें संग्रह करने के लिए मेहनत न करनी पड़े। हमारी मेहनत तो बस ज़िंदगी को जीने भर जुटाने की होनी चाहिए।
Thursday, February 08, 2018
प्यार क्या है क्यों होता है प्यार किसी से – प्यार की परिभाषा....
आज हम सबसे शानदार topic पर बात करने वाले हैं जिसका नाम है प्यार, जो की हर किसी की ज़िन्दगी का अहम् हिस्सा है। बहुत से friends यही पूछते आये हैं कि सच्चा प्यार क्या है? प्यार क्यों हो जाता है किसी से? प्यार कब होता है, प्यार हो जाये तो क्या करे? इन सबके बारे में हम आपको बारीकी से बताने जा रहे हैं। बिना प्यार के हर किसी की ज़िन्दगी नाखुश और बेकार है। चाहे प्यार लड़का-लड़की के बीच हो या family love हो या पति-पत्नी का हो। प्यार की हमेशा जीत होती है। पीढ़ियों के लिए दार्शनिकों, कवियों, लेखकों और वैज्ञानिकों के प्यार का एक पसंदीदा विषय रहा है। हालांकि ज्यादातर लोग इस बात से सहमत हैं कि प्रेम से प्यार की भावनाओं का बहुत ही असर होता है, इसके सटीक अर्थ के बारे में कई असहमति हैं, और एक व्यक्ति के “मैं तुमसे प्यार करता हूं” का मतलब किसी दूसरे के लिए कुछ अलग है। लेकिन आज हम आपको पूरी तरह प्यार क्या है, प्यार क्यों होता है, What is Love in Hindi पूरी परिभाषा बताने जा रहे हैं।
प्यार क्या है – प्यार की परिभाषा What is Love Hindi Definition
प्यार दो दिलों का मेल है जो कि आसानी से हो जाता है लेकिन आसानी से खत्म नहीं होता है। प्यार को दो शब्दों में बयां नहीं कर सकते न ही इसका कोई परिभाषा है। यह शब्दविहीन (wordless) है। इसे सिर्फ महसूस किया जाता है। यह एक खूबसूरत अहसास है जो दो लोगों को गहराई से आपस में जोड़ता है। प्यार दिल की एक आवसज है जिसे दिल की धड़कन से महसूस किया जा सकता है। प्यार में इंसान सब कुछ कर सकता है जिनमे प्यार के लिए हर कोई सारी दौलत, सोहरत, खुशिया, ऐशोआराम ठुकरा सकता है। यह एक सुन्दर पल है जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता है। प्यार में इंसान एक दूसरे के लिए जीता है और एक दूसरे के लिए मर भी सकता है।
प्रेम की कुछ संभावित परिभाषाओं में शामिल हैं:
- अपने से ज्यादा किसी और की भलाई और ख़ुशी को प्राथमिकता देने की इच्छा।
- लगाव, स्नेह और ज़रूरत की अत्यधिक भावनाएं।
- आकर्षण और सम्मान।
- देखभाल, स्नेह और पसंद।
- सहायता, सम्मान और देखभाल।
प्यार अगर एक पल के लिए दूर हो जाये तो इंसान सब कुछ भूलने लगता है और बार बार तनाव में आ जाता है। यह एक ऐसा अहसास है जिसमे दिल दूसरे के पास होता है। उसकी हर ख़ुशी भलाई के लिए खुद को कही भी कुछ भी करने के लिए तैयार हो सकता है।
Real Love (सच्चा प्यार) किसी कोई भी, किसी भी अवस्था में, किसी से भी, कहीं भी हो सकता है। एक बार प्यार में डूबने के बाद आदमी उससे बहार नहीं निकल सकता है। प्यार वह शक्ति है जो सात समंदर पार करके भी प्यार के पास आ जाता है। प्यार में बहुत बड़ी ताकत होती है जो दुनिया की हर समस्या से लड़ने को तैयार रहती है।
प्यार किसी भी अमीर या गरीब को हो सकता है। प्यार में जाती, धर्म, रंग रूप, अमीरी, गरीब जैसी चीजों के लिए जगह नहीं होती है। प्यार तो बस हो जाता है। प्यार में हर कोई चीज खूबसूरत लगती है। यह जिंदगी जीने का नजरिया बदल देता है। प्यार जिंदगी जीना सीखा देती है। प्यार में इंसान कुछ भी कर सकता है। प्यार में वो ताकत होती है जो दुश्मन को भी दोस्त बना देती है। इंसान चाहे कितनी भी दौलत कमा ले, चाहे कितना भी अमीर बन जाये अगर उसकी जिन्दगी में सच्चा प्यार नहीं है तो वह कभी खुश नहीं रह सकता।
प्यार क्यों होता है? प्यार कब होता है? प्यार में क्या होता है? प्यार और आकर्षण में क्या अंतर है? सच्चा प्यार का कैसे पता लगता है ? क्या होता है जब प्यार होता है? इन सब बातों को हम आपको बताने के लिए जा रहे हैं।
प्यार क्यों होता है?
माता-पिता, भाई-बहन, दोस्तों के साथ प्यार मिलने पर भी दिल को एक सुकून नहीं मिलता है। ऐसा लगता है कि हम अभी भी अधूरे हैं। हमारा दिल चाहता है कि हम किसी के साथ अपने सुख दुःख, प्यार स्नेह पूरी तरह बाँटें। जो हमारी हर बात को माने हमारे एहसास जाने, हमारी मदद करे। इंसान का स्वभाव ही ऐसा है अगर उसे कोई चीज मसनद आती है तो वह अपनापन महसूस करने लगता है और उसकी तरह आकर्षित होने लगता है धीरे-धीरे आकर्षण लगाव बन जाता है और प्यार में बदलने लगता है।
यही बात हमारे साथ भी होती है, हमें किसी का चेहरा पसंद आता है तो किसी की आँखे, या होंठ या फिर किसी का बात करने का तरीका। किसी को किसी के गुण अच्छे लगते हैं। जब इंसान को कोई चीज अच्छी लगने लगती है तो वह उसकी तरफ भागने लगता है। रोजाना उस चीज को देखने के लिए उसकी आदत सी हो जाती है और फिर बात करने के लिए फ़िदा होता है। धीरे-धीरे प्यार में दीवाना होने लगता है।
कब होता है प्यार?
प्यार करने की कोई उम्र और समय नहीं है, इसके लिए कोई फिक्स समय या उम्र नहीं होती। यह तो बस हो जाता है। प्यार आपको स्कूल, सोल्लगे, ऑफिस, अपनी गली में हो सकता है। आपको प्यार १६ से ४५ साल के बीच कभी भी हो सकता है। या कहें आजकल के समय में तो प्यार बड़ी जल्दी और बुढ़ापे में भी जाता है। जरूरी नहीं है की प्यार शादी से पहले ही होता है जिससे लव मैरिज अच्छा होता है वैसे तो वास्तविक प्यार शादी के बाद होता है। थोड़ा समय एक दूसरे के साथ बिताने से यह और गहरा हो जाता है।
प्यार कहाँ और कैसे होता है?
अब प्यार कहाँ और कैसे होता है इसका अनुमान लगाना बहुत आसान है। यह आपको पदोष, स्कूल, सोल्लगे में किसी भी दोस्त से हो सकता है। इसके अलावा आपको ऑफिस, बस, ट्रैन, कोचिंग सेण्टर, सोल्लगे लाइब्रेरी, मंदिर कहीं भी हो सकता है। मतलब ये है की इन जगहों में आपको कोई पसंद आ जाये या नहीं ये कह नहीं सकते हैं। अगर आपको उसको देखकर बार-बार दिल में उसी को देखने और उसका ख्याल आ रहा है तो लगता है आपको उससे प्यार होने लगा है।
आकर्षण वाला प्यार और सच्चे प्यार में अंतर
प्यार और आकर्षण में बहुत बड़ा अंतर है। क्या होता है कि जब हम किसी को देखते हैं तो हमें किसी की आँखे, किसी का चेहरा, किसी का बात करने का स्टाइल या किसी का फिगर। इसे पहली नजागर वाला प्यार कहते है। हमारी इच्छा प्यार वाली ही होती है लेकिन कम समझदारी और इजहार न करने से झिझकते है।
आकर्षण वाला प्यार (Love Attraction)
आकर्षण वाला प्यार (Temporary Love) ज्यादातर खूबसूरती या body figure से होता है जो कि एकतरफा होता है। कभी कभी यह दोनों ओर से आकर्षण होता है ये सिर्फ क्रश बनकर रह जाते है। टेम्पररी लव बहुतों के साथ हो सकता है। जरूरी तो नहीं जिसके प्रति आपका आकर्षण हो रहा है वह आपकी बांतो को पसंद करे और आपसे प्यार करने लगे। और बहुत से दोस्त थोड़ी सी बात करने के बाद बिना उसकी मर्जी के उसपर हक़ ज़माने लगते हैं। हम सामने वाले की सोच और इच्छा जाने बिना और उसे अच्छी तरह से समझे बिना ही उससे बहुत सी ख्वाहिशें, उम्मीदें पाल लेते है लेकिन जब सामने वाला आपकी बातों और आपके साथ प्यार नहीं करने को कहता है तो आपका आकर्षण वही पर ख़त्म हो जाता है।
सच्चा प्यार (True Love)
जब बात आती है सच्चे प्यार की तो यह देखने से नहीं बल्कि एक दूसरे को जानने और समझने से होता है। सच्चे प्यार को जताने और करने में जल्दबाति नहीं होता है। इसमें एक दूसरे की समझदारी, भरोशा, सम्मान की बात आती है। सच्चा प्यार में मन और दिल दोनों एक दूसरे से जुड़ते हैं। सच्चा प्यार करने वाले चाहे कितनी भी दूर हों लेकिन उनका मन, दिल, आत्मा, अहसास सब कुछ एक दूसरे के साथ होता है। सच्चे प्यार में रंग,रूप, खूबसूरती, हवस कुछ नहीं होता है। इसमें दूसरे की परवाह होती है। इसमें चाहे मंजिल नहीं (वैसे तो मिल ही जाती है) लेकिन फिर भी खत्म नहीं होता अमर हो जाता है। सच्चे प्यार में एक दूसरे का ख्याल, सुख दुःख में साथ, मुश्किल समय में साथ निभाना होता है। agar सच्चा प्यार हो जाता है तो सोच, सपने, अहसास एक हो जाते हैं।
क्या होता है जब किसी से प्यार हो जाये?
प्यार जब किसी से हो जाता है तो सब कुछ बदल जाता है। आपको एक अलग ही फीलिंग आनी शुरू हो जाती है। हर समय एक दूसरे का ख्याल, उसे मिलने, उसे देखने, उसके साथ समय बिताने, उसे हँसाने, उससे मजाक करने को दिल करता है। उसकी हर बात चाहे अच्छी हो या बुरी अच्छी ही लगने लगती है। हर पल वह मेरे सामने रहे, मेरे पास रहे ये बात दिमाग में आती रहती हैं। उसके फ़ोन, मैसेज का इंतजार, शायरी पढ़ना शुरू हो जाता है। इसके अलावा रोमांटिक गाने सुनना, या कोई सुन्दर गाना खुद गाने लगते हैं। एक दिन भी अगर आप उससे नहीं मिलें तो दिल बैचैन हो जाता है। उसकी हर गलत बात पर भी प्यार आने लगता है। बस उसी की ही ख़ुशी देखने को दिल करता है।
तो दोस्तों प्यार अगर आपको हो जाता है तो कभी भी उसका मजाक नहीं बनाये, न ही उसे धोखा दें। क्यंकि अगर आप उसे धोखा दोगे वह आपके बिना इस दुनिआ में अकेला हो जायेगा और हो सकता है इस दुनिया से चला भी जाये। हम तो आपको यही पनाह देंगे की अगर आपको किसी ने धोख दिया है तो कभी भी ऐसा काम नहीं करें जिससे आपके परिवार वाले भी दुखी रहें। प्यार में धोख मिले तो क्या करें इस बात को ध्यान में नहीं रखे कुछ नया सोचे और अपने परिवार को खुश करें। जिन्होंने आपको इतने साल से पाल पोसकर, बड़े प्यार से बड़ा किया है।
Last Word: हम आशा करते हैं की आपको जब किसी से प्यार हो तो सच्चा ही हो, और आपके प्यार की जीत हो। आप हमेशा खुश रहें।
Sunday, November 19, 2017
ग्लास को नीचे रख दीजिये
एक प्रोफ़ेसर ने अपने हाथ में पानी से भरा एक glass पकड़ते हुए class शुरू की . उन्होंने उसे ऊपर उठा कर सभी students को दिखाया और पूछा , ” आपके हिसाब से glass का वज़न कितना होगा?”
’50gm….100gm…125gm’…छात्रों ने उत्तर दिया.

‘आपका हाथ दर्द होने लगेगा’, एक छात्र ने कहा.
” तुम सही हो, अच्छा अगर मैं इसे इसी तरह पूरे दिन उठाये रहूँ तो का होगा?”
” आपका हाथ सुन्न हो सकता है, आपके muscle में भारी तनाव आ सकता है , लकवा मार सकता है और पक्का आपको hospital जाना पड़ सकता है”….किसी छात्र ने कहा, और बाकी सभी हंस पड़े…
“बहुत अच्छा , पर क्या इस दौरान glass का वज़न बदला?” प्रोफ़ेसर ने पूछा.
उत्तर आया ..”नहीं”
” तब भला हाथ में दर्द और मांशपेशियों में तनाव क्यों आया?”
Students अचरज में पड़ गए.
फिर प्रोफ़ेसर ने पूछा ” अब दर्द से निजात पाने के लिए मैं क्या करूँ?”
” ग्लास को नीचे रख दीजिये! एक छात्र ने कहा.
” बिलकुल सही!” प्रोफ़ेसर ने कहा.
Life की problems भी कुछ इसी तरह होती हैं. इन्हें कुछ देर तक अपने दिमाग में रखिये और लगेगा की सब कुछ ठीक है.उनके बारे में ज्यदा देर सोचिये और आपको पीड़ा होने लगेगी.और इन्हें और भी देर तक अपने दिमाग में रखिये और ये आपको paralyze करने लगेंगी. और आप कुछ नहीं कर पायेंगे.
अपने जीवन में आने वाली चुनातियों और समस्याओं के बारे में सोचना ज़रूरी है, पर उससे भी ज्यादा ज़रूरी है दिन के अंत में सोने जाने से पहले उन्हें नीचे रखना.इस तरह से, आप stressed नहीं रहेंगे, आप हर रोज़ मजबूती और ताजगी के साथ उठेंगे और सामने आने वाली किसी भी चुनौती का सामना कर सकेंगे..........
Monday, November 13, 2017
Discovery – आविष्कार
दोस्तों इस जीवन में नामुनकिन कुछ भी
नहीं (Nothing is impossible in life), नामुनकिन शब्द मनुष्य ने ही बनाया
है| जब टेलीफोन और रेडियो आदि का आविष्कार नहीं हुआ था तो दुनिया और
विज्ञान यही मानते थे कि आवाज को कुछ ही समय में सैकड़ो किलोमीटर दूर
पहुँचाना नामुनकिन (Impossible) है, लेकिन आज मोबाइल हमारे जीवन का हिस्सा
है|
इसी तरह जब तक विमान का आविष्कार नहीं हुआ था तब तक विज्ञान जगत भी यही मानता था कि मनुष्य के लिए आकाश में उड़ना संभव नहीं लेकिन जब राइट बंधुओं ने विमान का आविष्कार किया तो यह “असंभव”, “संभव” में बदल गया (Impossible becomes Possible)|
इस दुनिया में नामुनकिन कुछ भी नहीं (Nothing is impossible in this world),“नामुनकिन” हमारा भ्रम या गलत मान्यता है जो आख़िरकार गलत साबित होती है|

भौरा विज्ञान के नियमों के अनुसार उड़ नहीं सकता लेकिन वह मानता है कि वह उड़ सकता है इसलिए वह उड़ जाता है जबकि हाथी कमजोर रस्सी को आसानी से तोड़ सकता है लेकिन वह यह मानता है कि वह उस रस्सी को तोड़ नहीं सकता, इसलिए वह रस्सी को तोड़ नहीं पाता| |
इसी तरह जब तक विमान का आविष्कार नहीं हुआ था तब तक विज्ञान जगत भी यही मानता था कि मनुष्य के लिए आकाश में उड़ना संभव नहीं लेकिन जब राइट बंधुओं ने विमान का आविष्कार किया तो यह “असंभव”, “संभव” में बदल गया (Impossible becomes Possible)|
इस दुनिया में नामुनकिन कुछ भी नहीं (Nothing is impossible in this world),“नामुनकिन” हमारा भ्रम या गलत मान्यता है जो आख़िरकार गलत साबित होती है|

“हम वो सब कर सकते है जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है जो आज तक हमने नहीं सोचा”
हम गलत धारणाएँ (Wrong Beliefs) बना लेते है और हमें इसी कारण कोई कार्य मुश्किल या असंभव लगता है|
हम
आज जो भी है वह हमारी सोच का ही परिणाम है| हम जैसा सोचते है, वैसा बन
जाते है – (We become, what we think)| “असंभव” या “नामुनकिन” (Impossible)
हमारी सोच का ही परिणाम है|
“हमारे साथ वैसा ही होता है जैसा हम मानते है और विश्वास करते है|”
भौरा विज्ञान के नियमों के अनुसार उड़ नहीं सकता लेकिन वह मानता है कि वह उड़ सकता है इसलिए वह उड़ जाता है जबकि हाथी कमजोर रस्सी को आसानी से तोड़ सकता है लेकिन वह यह मानता है कि वह उस रस्सी को तोड़ नहीं सकता, इसलिए वह रस्सी को तोड़ नहीं पाता| |
Monday, November 06, 2017
Aapka Bhavishya aapki aaj ki soch aur Karyo pe nirbhar karta hai....
Maine Kahi Par Aisa Suna Aur Padha Hai Aur Apne Iss Jeevan Me Feel kiya Hai iske Baare me to aaj mai iss baat ko ek chhoti si kahani k madhyam se ap tak pahunchane ki kosis kar rha hu ......jarur padhiyega ise...
Ek aadmi ke 2 bete the, dono jab bade hue to 1 bahut bada business man bana aur 1 sharabi bana. Ek din unke kisi dost ne un dono se pucha ke tum itni sharaab kyon peete ho, to pehle bhai ne jawab diya “apne papa ke kaaran” main bachpan se hi apne pitaji ko sharab peete dekha hai aur jua khelte dekha hai isliye main bhi waisa hi ban gaya
Ek aadmi ke 2 bete the, dono jab bade hue to 1 bahut bada business man bana aur 1 sharabi bana. Ek din unke kisi dost ne un dono se pucha ke tum itni sharaab kyon peete ho, to pehle bhai ne jawab diya “apne papa ke kaaran” main bachpan se hi apne pitaji ko sharab peete dekha hai aur jua khelte dekha hai isliye main bhi waisa hi ban gaya
To dost ne doosre bhai se pucha tum itne bade business man kaise ban gaye? To doosre bete ne kaha “apne papa ke kaaran”
maine hamesha apne papa ko sharab ke nashe mein dhutt dekha, hamesha hi
jua khelte dekha, ghar aur family ko support karte kabhi nahi dekha,
bas ussi waqt se maine soch liya tha ke jo galtiya mere pitaji ne ki hai
who maine bilkul bhi nahi karni hai, isliye aaj main itna kaamyab hoon.
To dosto
is choti si kahani se humein bahut bada sabak (lesson) milta hai ke aap
kis kaam ko kis nazariye se dekhte ho, ek bhai ne sharab aur jua dekha
aur ussi se judd gaya, ek bhai ko yeh sab bura laga aur unse door raha
aur kaamyaab ho gaya. Yeh sab insaan ke nazariye aur soch ka hi parinaam
hai ke uska bhavishya kaisa banega.
To dosto
umeed hai is choti si kahani se aapke jeevan mein kafi kuch bada hoga jo
aapko kaamyabi ke raste pe le jaayega aur aap bhi bulandiyo aur shohrat
ko chu lauge. Jimmewari samjho, jimmewar bano, logo se acha behave
karo, sabki suno, karo jo khud ko theek lage, sapne dekho tabhi sapne
poore honge.
ACHA SOCHO, ACHA KARO….. SAB ACHA HI HOGA.
Aapke ache bhavishya ke liye meri vikas ki taraf se aapko dher sari shubhkaamnayein...
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