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Daily Something New Here Of the prospective line with story of success....... हम अपनी समस्याओं को उसी सोच के साथ हल नहीं कर सकते हैं जो हमने उन्हें बनाया था। "जितने दिन तक जी गई, बस उतनी ही है जिन्दगी, मिट्टी के गुल्लकों की कोई उम्र नहीं होती।"
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चौथी पुतली कामकंदला की कथा से भी विक्रमादित्य की दानवीरता तथा त्याग की भावना का पता चलता है। वह इस प्रकार है-
तीसरी पुतली चन्द्रकला ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है।
दूसरी पुतली चित्रलेखा की कथा इस प्रकार है-
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पहली पुतली रत्नमंजरी राजा विक्रम के जन्म तथा इस सिंहासन प्राप्ति की कथा बताती है। वह इस प्रकार है:
दोस्तों मनुष्य की जिंदगी में सुख और दुख हमेशा साथ साथ चलते हैं व्यक्ति, को सभी तरह के समय के लिए तैयार रहना चाहिए लेकिन दुख के समय में कई लोग बुरी तरह टूट जाते हैं, और आगे बढ़ने की उम्मीद छोड़ देते हैं। दोस्तों जब आप संघर्ष कर रहे होते हैं तो रास्ते मे बहुत सारे उतार चढ़ाव आते हैं। लेकिन इन उतार से जो व्यक्ति डर जाता है वह कभी आगे नही बढ़ पाता और जो ऐसे समय में धैर्य बनाए रखते हुए आगे बढ़ता रहता है वह जीवन में कभी असफल नही हो सकता।
निराशा एक ऐसी बीमारी है कि एक बार कोई इसकी चपेट में आ जाए तो उससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है। अधिकांश लोग नए काम की शुरुआत बड़े उत्साह के साथ करते हैं। लेकिन अगर आपके द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर सफलता नहीं मिलती है, तो कुछ समय बाद सारा उत्साह खत्म होने लगता है। इसका सबसे बड़ा कारण उदासीनता यानी अपने आप में प्रेरणा की कमी है। काम चाहे छोटा हो या बड़ा उसे अच्छे से पूरा करने के लिए काफी मोटिवेशन की जरूरत होती है। आजकल की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए आज हम कुछ kahani humari jubaani लेकर आए हैं जिनके द्वारा आप किसी व्यक्ति अथवा छात्र के जीवन में उजाला ला सकते हैं।
इंतज़ार करने वालों को उतना ही मिलता है जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं
सफलता उन्हीं को मिलती है, जिनके जीवन का एक लक्ष्य होता है और वे अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार होते हैं। और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए सच्चा दृढ़ संकल्प लेते हैं और इसके लिए वे लगातार प्रयास करते रहते है।
किसी भी सफलता की शुरुआत कोशिश करने से ही होती है। इसी बात पर एक बार चन्द्रगुप्त ने चाणक्य से पूछा “अगर किस्मत पहले लिखी जा चूकी है तो कोशिश करने से क्या मिलेगा” इस पर चाणक्य ने जवाब दिया “क्या पता किस्मत में लिखा हो कोशिश करने से ही मिलेगा” इसीलिए हम भी कहते है सफल होना है तो कोशिश तो करनी ही पड़ेगी।
अक्सर कोई भी काम शुरू करने से पहले लोग उसके फायदे, नुकसान, परिणाम, आदि के बारे में सोचने लगते हैं और जब वे ऐसा करते हैं तो हम एक कदम आगे बढ़ने से पहले ही खुद को पीछे धकेल देते हैं क्योंकि आपको कुछ नया मिलता है। अगर आप काम पर जाते हैं तो आपको जरूर लगेगा कि आप यह नहीं कर सकते या ऐसा करना आपके बस की बात नहीं है और जब आप लोगों के सामने इस पर चर्चा करते हैं तो लोग आपका मजाक उड़ाने लगते हैं।
हमें इन सब बातों को नजरअंदाज कर अपनी मंजिल की ओर बढ़ना है। इसलिए सभी छात्रों को भी अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीर होना चाहिए। तभी वे अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। जो छात्र पूरी साल मेहनत, लगन और ईमानदारी से पढ़ाई करते हैं। वो ही क्लास में टॉप करते हैं।
ज़िन्दगी की कठनाइयों से भाग जाना आसान होता है,
जिंदगी में हर पहलू इम्तेहान होता है,
डरने वालो को नही मिलता कुछ ज़िन्दगी में,
लड़ने वालों के कदमो में जहांन होता है.
“मैदान से हारा हुआ इंसान तो फिर से जीत सकता है लेकिन मन से हारा हुआ इंसान कभी नहीं जीत सकता इसलिए मन से कभी हार मत मानना”
वहीं जिन छात्रों को पढ़ाई करने से डर लगता है अथवा यह सोचते हैं कि वे फेल हो जाएंगे और इसलिए मेहनत नहीं करते तो उनका ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है क्योंकि किसी काम को करने के लिए प्रयास करने और विश्वास रखने की जरूरत होती है। इसलिए सभी छात्रों को एक ध्येय बनाना चाहिए और उसे पाने के लिए बिना रुके तब तक प्रयास करते रहना चाहिए जब तक की उसे पा नहीं लें।
हर व्यक्ति के अंदर पॉज़िटिव एनर्जी भरी होती है जैसे कोल्ड्रींक की बॉटल के अंदर कोल्डद्रिंक भरी होती है मगर आप जब तक ढक्कन खॉलोगे नही तब तक वो बहार नही आ पाती। इसी तरह जब तक आप अपने अंदर की एनर्जी को बाहर नही आने दोगे तब तक सफल नही हो सकते ह्मे।
कुछ भी करने से पहले यही डर लगता है की लोग क्या कहेंगे या हम सफल होंगे या नही अगर व्यक्ति सफल और असफल होने का डर मन से निकाल दे तो उससे आगे बढ़ने से कोई रोक नही सकता। Failure के बिना Success की कहानी अधूरी होती है किसी भी महान व्यक्ति की success journey को देखलो बिना failure कोई भी आगे नही बढ़ा है। इसीलिए कहा जाता है कि
“failure is not different from success, failure is a part of success journey”
इसीलिए बिना किसी परिणाम की परवाह किए हमे अपना कार्य करते रहने चाहिए और अपने लक्ष्य को दृढ़ रखान चाहिए। अंतः सफलता प्राप्त होके ही रहेगी| इसी के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूँ इन शब्दों के साथ।
कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों
एक बच्चा अपनी माँ के साथ एक दुकान पर शॉपिंग करने गया तो दुकानदार ने उसकी मासूमियत देखकर उसको सारी टॉफियों के डिब्बे खोलकर कहा-: "लो बेटा टॉफियाँ ले लो...!!!"
पर उस बच्चे ने भी बड़े प्यार से उन्हें मना कर दिया. उसके बावजूद उस दुकानदार ने और उसकी माँ ने भी उसे बहुत कहा पर वो मना करता रहा. हारकर उस दुकानदार ने खुद अपने हाथ से टॉफियाँ निकाल कर उसको दीं तो उसने ले लीं और अपनी जेब में डाल ली.
वापस आते हुऐ उसकी माँ ने पूछा कि "जब अंकल तुम्हारे सामने डिब्बा खोल कर टाँफी दे रहे थे , तब तुमने नही ली और जब उन्होंने अपने हाथों से दीं तो ले ली..!! ऐसा क्यों..??"
तब उस बच्चे ने बहुत खूबसूरत प्यारा जवाब दिया -: "माँ मेरे हाथ छोटे-छोटे हैं... अगर मैं टॉफियाँ लेता तो दो तीन टाँफियाँ ही आती जबकि अंकल के हाथ बड़े हैं इसलिये ज्यादा टॉफियाँ मिल गईं..."
बिल्कुल इसी तरह जब भगवान हमें देता है, तो वो अपनी मर्जी से देता है और वो हमारी सोच से परे होता है, हमें हमेशा उसकी मर्जी में खुश रहना चाहिये....!!!
क्या पता..??
वो किसी दिन हमें पूरा समंदर देना चाहता हो और हम हाथ में चम्मच लेकर खड़े हों...
छठी पुतली रविभामा ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है: एक दिन विक्रमादित्य नदी के तट पर बने हुए अपने महल से प्राकृतिक सौन्दर्य को निहार रहे थे...